Thursday, 8 March 2012

जन्मदिन

तन्वी गंगल

जन्मदिन

सुबह उतकर श्रीया को एक इचा थी, अपना जन्मदिन धूमधामसे बनाने का इचा| पहले, श्रीया गिर गयी सीरियों से, पर कोई बात नहीं उनकी माँ ज़रूर कुछ अच्छा खाना बनायी है नाश्ता के लिए| पर यह भी नहीं हुआ, श्रीया की माँ अभी तक सो रही थी, तो कोई उसको स्कूल नहीं चोर सक्का| तब तक श्रीया रोने लगी, यह उसके सात क्यूँ हो रहा था और इस खास दिन पर| जब श्रीया स्कूल पहुंची ओसके सारे दोस्त ओनसे बात नहीं कर रहे थे, उसकी सबसे खास दोस्त भी उससे सिर्फ 'नमस्ते' कही| श्रीया को समाज में ही नहीं रहा था की सब लोग क्यूँ नाराज़ थे उससे, वेह कभी गलत काम नहीं करती है| जब वह नाश्ता के लिए बैटी उसके सारे दोस्त उसके अंकों से अंक नहीं मिलकर अपनी मेज़ पर बैटने नहीं दिए| यह तो दुनिया का सबसे बूरा दिन निकला| जब घर के लिए बस भी छूट गयी, तो श्रीया के सारे आशाएं दिन के, टूट गये| जब श्रीया घर लौटी कुछ घंटे बाद, घर तक चलने से बहुत थक गयी, और लगता है की बिजली भी गयी क्योंकि सरे घर अँधेरा में पड़ा था| जब श्रीया ने ऊपर कमरे तक जाने की लाइट ओं करी तो सरे सीरियों में उसके सरे दोस्त, माँ बाप, और परिवार वोलों खरे थे एक धेर साडी मिठाई के सात| चुटकी में वह अपनी सारा दिन की मुश्किलें भूल गयी और एक लाइट से उसकी साड़ी परेशानियाँ दूर हो गयी और इचायें पूरी हो गयी| यह सचमुच सबसे अच्छा आश्चर्य था|


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