भारतीय शादियों की बहुत रस्में होती हैं. एक बहुत जान- पहचानी रस्म है मेहँदी की रस्म. विवाह के पहले, मेहँदी लगाया जाता है दुल्हन के बाजूओं, पैर, और हाथों पर. एक पेशेवर मेहँदी लगनी वाली आती है और मेहँदी लगाती है. कहीं स्थानों में शुभ होता है अगर दुल्हन की भाभी पहला दिसाइन बनती है. जब तक दुल्हन के हाथों पर मेहँदी रहती है, वह नए घर में कुछ घर का काम नहीं कर सकती है. कोई और स्थानों में शुभ होता है अगर दुल्हन की मम्मी मेहँदी लगाती है. मेहँदी की रसम से पहले, या साथ साथ में, संगीत की रस्म होती है. संगीत में सिरद औरते और लडकियां होती हैं. पहले, सिर्फ लड़की-वाले के तरफ से थी पर अब दोनों तरफ से हो सकती है. संगीत में (पुराने, कभी कभी गॉंव वाले) शादी वाले गाना गए जाते हैं. कोई ढोलक बजता है, और चमचा भी बजता है ढोलक पर. सहेलियां और बहेने (और दूसरी रिश्तेदार) अलग अलग गानों पे नाचती है. संगीत बहुत रौनक वाला और ख़ुशी भरा माहौल है. बड़े उम्र के औरते गाते हैं और याद करते है अपनी जवानी के बारे में, और अपनी शादी के बारे में . मगर संगीत में एक थोडा उदास्स्सी वाला माहौल बन सकता है जब मां-बेटी को नज़दीक आनेवाले जुदाई महसूस होती है.
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