Sunday 18 March 2012

सात फेरे

सात फेरों की रस्म हिंदू शादी की सबसे महत्वपूर्ण रस्म है. सात फेरों में दूल्हा और दुल्हन सात कसमें लेतें हें जब वह पवित्र अग्नि के द्वारा चक्कर मरते हैं. हर फेरा का कोई अर्थ होता है. हर फेरे के साथ वे अपने साथी के साथ एक वादा बनाते हैं. पहले फेरा में दूल्हे और दुल्हन प्रतिज्ञा करते हैं की वे एक स्वस्थ और समृद्ध जीवन प्राप्त करे. दूसरे फेरा में, वे भगवान से निरामय मानसिक, भौतिक और आत्मिक स्वास्थ्य की प्राथना करते हैं. तीसरे फेरा के दौरान दूल्हा और दुल्हन व्रत करते हैं की वे धन प्राप्त करेंगे और यह उचित साधनों के माध्यम से किया जायेगा. चौथे फेरा में वे व्रत लेते हैं की वे एक दूसरे से बहुत प्यार और सम्मान देंगे. यह प्यार और सम्मान अपने आप के लिए ही नहीं पर अपने परिवारों के लिए भी हैं. पांचवे फेरा में दूल्हा और दुल्हन सुंदर बच्चों की प्राथना करते हैं, जिनके लिए वे जिम्मेदार होंगे. छठे फेरा में वे एक शांतिपूर्ण जीवन व्यतीत करने के लिए और उनके वैवाहिक संबंध की दीर्घायु के लिए प्रार्थना करने का वादा करते हैं. और अंत में सातवें फेरे में दुल्हे और दुल्हन एकजुटता, साहचर्य, प्रतिबद्धता और खुद के बीच समझ का वादा करते हैं. हिंदू शादी में, यह प्रथागत है की दुल्हा और दुल्हन पवित्र अग्नि के चारों ओर सात फेरे लेते हैं और भगवान की उपस्थिति में वादे करते हैं. विवाह में सात दौर किये जाते हैं, क्यूंकि सात नंबर का महत्व है.

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