शादी के पहले पुरंपरागत एक बरात है. बरात जुलूस दूल्हे के लिए है. वह एक घोड़ा से जाता है, घोड़ा बहुधा सफ़ेद है. सीख शादियों में कभी कभी दूल्हा हाथी से जाता है. वह एक तलवार साथ रखता है. दूल्हे का परिवार उस के साथ चलता है और कभी कभी संगीत्कारें, नर्तकी, और उस के दोस्त भी उस के साथ चलते हैं. वह बरात बहुत महँगा है और कुछ शादियाँ के लिए वह अपने "बुजेत" है. बरात शादी के जगह को जाता है. वह जगह अक्सर दुल्हन का घर है. इस के सामने आतशबाज़ी है और वे लोग ढोल की संगीत को चलते हैं. उन लोगों का नाम बरात के लिए बरातिस है. जब बरात गंतव्य पहुंचता है तब संगीतकार शेहनाई बजाते हैं. उस के बाद दोनों परिवार मिलते है. दोनों पिटे मिलते हैं, दोनों मान मिलती हैं, दोनों भाई मिलते हैं और वगैरह. हिन्दू की शादियाँ में दुल्हन के लोग दूल्हा को माले देते हैं और वे आरती करते हैं. बरात पुनजब में और राजपूत शादी अलग हैं. पुनजब में दोनों आदमी और औरत बरात पर जाते हैं और आदमी दूल्हा और दुल्हन के परिवारों में पगरी पहनते हैं आदर के लिए. जब बरात पहुंचता है तब एक मिलनी है. लेकिन राजपूत शादियाँ में सिर्फ आदमी बरात में हैं. दूल्हा सोना का अचकन, नारंगी पगडी, और जोधपुर पहनता है. आदमी बरात में नारंगे पगडी, एक अचकन, और जोधपुर पहनते भी हैं. हर लोग तलवार साथ रखते भी हैं. राजपूत बरात में नृत्य नहीं है और वह बरात के पास नहीं है.
Sunday, 18 March 2012
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