सात फेरे बहुत महत्वपूर्ण रिवाज हिन्दू शादी में हैं. पति और पत्नी सात बार आग के आस पास चलते हैं, और वे दौर प्रति एक वादा करते हैं. पहले दौर को, वे वादा करते हैं कि वे एक समृद्ध जीवन बनाएँगे. दूसरा दौर को, वे भगवान् को शारीरिक, मानसिक, और आध्यात्मिक शांति के लिए पूछते हैं. तीसरा दौर को, वे पूछते हैं कि वे पैसे न्यायपूर्वक अर्जित करेंगे. पांचवां दौर के लिए, वे वादा करते हैं कि वे सुन्दर बच्चें उत्पादन करेंगे और वे बच्चों को प्यार देंगे. छठा दौर के अवधि में, पति-पत्नी वादा करते हैं कि वे एक शांतिपूर्ण और लंबे समय तक शादी करना होगा. अंत में, सातवाँ दौर को, वे वादा करते हैं कि वे प्रतिबद्ध हैं और एक दूसरे कि समझ वादा करेंगे.
सोलह श्रृंगार एक और बहुत महत्वपूर्ण रिवाज हिन्दू शादी में है. पहले, औरतें पत्नी का बाल धोते हैं, बाल पर तेल लगते हैं, और बाल में सुंदर गहने और फूल व्यवस्था करते हैं. अगला पत्नी का शारीर पर हल्दी लगता है. उसका माथा पर मान्ग्तीका और बिंदी लगते हैं. उसकी आँख काजल के साथ प्रकाश डालते हैं. अब आभूषण के लिए: एक हार, नाथ, कर्ण फूल, बाजूबंद, चूड़ियाँ, कमरबंद, पायल, और बिचुअस पहने जाते हैं. अंत में पत्नी लाल दुल्हन की पोशाक पहनती है और उसका माथा पर सिंदूर लगता है.
सोलह श्रृंगार एक और बहुत महत्वपूर्ण रिवाज हिन्दू शादी में है. पहले, औरतें पत्नी का बाल धोते हैं, बाल पर तेल लगते हैं, और बाल में सुंदर गहने और फूल व्यवस्था करते हैं. अगला पत्नी का शारीर पर हल्दी लगता है. उसका माथा पर मान्ग्तीका और बिंदी लगते हैं. उसकी आँख काजल के साथ प्रकाश डालते हैं. अब आभूषण के लिए: एक हार, नाथ, कर्ण फूल, बाजूबंद, चूड़ियाँ, कमरबंद, पायल, और बिचुअस पहने जाते हैं. अंत में पत्नी लाल दुल्हन की पोशाक पहनती है और उसका माथा पर सिंदूर लगता है.
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