मेरा मनपसंद भारत्या लोक नाच का नाम करागात्तम है. दक्षिण भारत में यह नाच बहुत मशहूर है. करागात्तम एक भगवान मरिंमन के लिए अभिनय करथे हैं. जो बारिश और उर्वरता की देवी है वह मरिंमन अधिकांश के ग्रामीण पूजा किया गया है. नाच के लिए कलाकारों अपने-अपने सर पर पानी की बर्तन तौलते. इस नाच में दो प्रकार के होते हैं. पहला प्रकार आटा करकम है. वह मनोरंजन के लिए अभिनव किया गया है. यह आनंद और खुशी का प्रतीक. दूसरी प्रकार सकती करकम है. वह मंदिर में नचा गया. एक लंबे समय से पहले यह नाच सिर्फ ढोल के साथ अभिनव किया गया. लेकिन अभी गाने के लिए भी अभिनव किया गया. यह नाच अकेले या जोड़ों में और दोनों पुरुष और महिला से प्रदर्शन किया जा सकते हैं. कुछ नृत्य सर्कस कृत्यों के लिए समान हैं. इन दिनों वे मिट्टी के बर्तन का प्रयोग नहीं करते हैं. बजाय वे धातु का प्रयोग करते हैं. बर्तन एक कागज तोता और फूलों से सजाया जाता है. जब वे नाचने पर कागज तोता भी घुमाता है उस नाचने की तरह से. जब आदमियों नाचने, बर्तन, कच्चा चावल से भरा गया है. वे पानी की एक थाली पर नाचते हैं. तथापि वे पानी नहीं गिर गयी. सबसे नर्तकियों तमिलनाडु में रहते हैं. क्यों की यह नृत्य तमिलनाडु में जन्माता है. लेकिन जहां लोगों को तमिल बोलते हैं वे भी रहते हैं. उदाहरण के लिए श्रीलंका, मलेशिया, सिंगापुर. सब के ऊपर, यह एक धार्मिक नृत्य. लेकिन अब यह मनोरंजन के लिए प्रयोग किया गया है.
Thursday 22 March 2012
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