Sunday 18 March 2012

hindu wedding

बंगला शादियों दुसरे हिन्दू शादियों की तरह हैं लेकिन कोई छोटे अनुष्टान अलग होते हैं. बंगला परंपरा में दुल्हन लाल साड़ी पहेनकर मंच पर बेटता है और उसके बहियाँ उसको दुल्हे के पास ले जाते हैं  दुल्हन एक पान का पत्ता से चेहरे छिपाते है ताकि दुला उसे नहीं देख सकते हैं. दूल्हा एक चंदवा के नीचे खड़ा है और दुल्हन के लिए इंतज़ार करता है. जब दुल्हन चंदवा के नीचे जाते है, तब वह पान का पत्ता उतार देते हैं और दुल्हे दुल्हन के आखें फेले बार मिलते हैं. यह शुबो दृष्टि कहते हैं. इसके बाद जयमाला होते हैं, और दोनों दुसरे पर एक सुन्दर फूं की माला पहनाते हैं और दुसरे को स्वीकार करते हैं. इसके बाद दोनों दुल्हे और दुल्हन मंडप पर बेटते हैं और सारे अनुष्टान करते हैं, जैसे साथ फेरे. साथ फेरे में पंडित जी संस्कृत में प्रतिज्ञा बोलते हैं और दुल्हे और दुल्हन भी दोहराते हैं. दोनों अग्नि को चारों और चलते हैं और अग्नि में कुछ चीज़े, जैसे घी और चावल, आग में डालते हैं. लड़के तीन चक्र के लिए पहले जाते हैं, फिर लड़की अंत में पहले जाते हैं. मेरा मनपसंद अनुष्टान साथ फेरे के बाद है, जब दुल्हे और दुल्हन कुछ खेल खेलते हैं, जैसे दूध में अंगूठी ढूँढ़ते हैं. लोग बोलते है की जो अंगूठी पहले मिलते हैं, वोह रिश्ते का नेता होगा. खेल खेलने में मूड हल्का हो जाता है और मज़ा भी आता है. हिन्दू शादियाँ बोहुत धूम धाम से मानते हैं और तीन दिन के लिए रिश्तेदारों के साथ तमाशा करते हैं. 

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