भारतीय शादियों में बहुत सरे परंपरा होतें हैं. एक परंपरा का नाम हल्दी है और यह एक दिन शादी से पहले होता है. इस दिन पर एक "पेस्ट" बनना जाता है खाली पानी और हल्दी को मिलाकर. फिर उसी दिन पर यह "पेस्ट" दुल्हन और दुल्हे के ऊपर लगता जाता है. पुराने ज़माने में दुल्हन और दुल्हे के हल्दी अलग अलग घर में होतें थे लेकिन आज कल एक साथ भी होता है. हल्दी की समारोह में कोई भी नहीं हल्दी लगासकते हैं, सिर्फ परिवार के जोह शादी-शुदा औरते हैं, वे दुल्हन और दुल्हे के ऊपर लगते हैं. और कई लोग थोडा सा हल्दी छोड़कर, उनको देते है जिनके परिवार में अभी शादी नहीं हुई है ताकि उनको सौभाग्य मिलें.
लेकिन हल्दी क्यों लगते हैं? इसीलिए लगते हैं क्योंकि हल्दी अधीरता दुल्हे से उतरता है और और जो शादी करने वाले हैं, उनको आशीवार्द मिलती है की वे अच्छे तरह से रहे. दुल्हन के चेर्हा के ऊपर भी लगता है ताकि त्क्चा चमकना लगता है. दुल्हन की हाथो पर हल्दी नहीं लगती है क्योंकि वहां मेहँदी लगती है. जब हल्दी सुख जाता है, फिर दुल्हान और दुल्हे अलग अलग नहासकते है और दोनों का तक्चा शादी के दिन के लिए अच्छे से चमकेगा. इस समारोह पर लोग बहुत मज़ा करते हैं क्योंकि पूरा परिवार साथ में हैं.
लेकिन हल्दी क्यों लगते हैं? इसीलिए लगते हैं क्योंकि हल्दी अधीरता दुल्हे से उतरता है और और जो शादी करने वाले हैं, उनको आशीवार्द मिलती है की वे अच्छे तरह से रहे. दुल्हन के चेर्हा के ऊपर भी लगता है ताकि त्क्चा चमकना लगता है. दुल्हन की हाथो पर हल्दी नहीं लगती है क्योंकि वहां मेहँदी लगती है. जब हल्दी सुख जाता है, फिर दुल्हान और दुल्हे अलग अलग नहासकते है और दोनों का तक्चा शादी के दिन के लिए अच्छे से चमकेगा. इस समारोह पर लोग बहुत मज़ा करते हैं क्योंकि पूरा परिवार साथ में हैं.
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