Saturday 17 March 2012

होमवर्क चौदह

भारतीय शादियों में कई रिवाजें और रस्में होती हैं. लेकिन उन में से सबसे महत्वपूर्ण रस्म है सात फेरे. कानून और परंपरा के कहने पर, कोई हिन्दू शादी पूरी नहीं समझ जाती है जब तक दूल्हे-दुल्हन सात फेरे नहीं लेते हैं. हर फेरे का एक अर्थ होता है और दोनों दूल्हे-दुल्हन अपने आप के लिए और अपने परिवार के लिये प्रार्थना करते हैं और प्रतिज्ञा करते है. पहले फेरे में, दोनों भगवान से प्रार्थना करते हैं कि उन को हमेशा पौष्टिक और अच्छा खाना मिलें. दूसरे फेरे में वे भगवान से प्रार्थना करते हैं कि वे उन को शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक शक्ति दें ताकि वे एक स्वस्थ जीवन बिता सकें. तीसरे फेरे में, वे प्रार्थना करते हैं कि उन को जीवन में बहुत धन मिलें और उन को शक्ति मिलें खुशी और दर्द साथ -साथ महसूस करने की. चौथे फेरे में, वे साथ-साथ रहने का और एक दूसरे और उनके परिवारों का सम्मान और प्यार बढाने का वादा करते हैं. पांचवें फेरे में, वे अपने खुद का परिवार बनाने के लिये प्रार्थना करते हैं और सुंदर, प्रकार, और महान बच्चों के लिए भी प्रार्थना करते हैं. छठे फेरे में, वे प्रार्थना करते हैं कि वे एक दूसरे के साथ लंबे शांतिपूर्ण जीवन बिता सकें. अंत में, सातवें फेरे में, वे एक दूसरे के बीच साहचर्य, एकजुटता, निष्ठा, और समझ भगवान से मनागते हैं. इन सात फेरे को एक पवित्र अग्नि के चारों ओर लिए जाते हैं और शादी का बंधन अनन्त बनाता है.

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