भंगरा भारत का एक तरह का लोक नाच है. भंगरा पंजाबी का लोक नाच है. शुरू में पंजाबी लोग भंगरा करते थे क्योंकि वे फसल मौसम के आने मनाते थे. अब भंगरा बहुत बड़ा हो गया है. नए गानों में नाचते है, फिल्मों में नाच देख सकते है, और कलज की प्रत्योगिताओं में अब भंगरा आता है. ढोल, इकतार, तुमि, चिंता, और तबला से बजाकर भंगरा की संगीत सुनती है. भंगरा की बहुत तरह से लोग करते है. लोग झूमर, लूद्दी, गिद्ध, जुल्ली, धमाल, दानकर, सामी, किकली, और गतका करते हैं. भंगरा गाने की शब्द सामाजिक मुद्दों और संस्कृति के बारे में है.
झूमर संदाल्बर से है. तबला वाला नाचने वालों के बिच में बैटता है. लूद्दी झूमर के जैसे है. तबला वाला नाचने वालों के बीच में है लेकिन नाचने वाले किसी और तरह से नाचते हैं. वे एक हाथ पीठ के पीछे होता है और दूसरा हाथ मूह के आगे है. गिद्ध औरगों का नाच है. दानकर लोग करते है जब कुछ माना रहे हैं. दो आदमियों साथ नाचते हैं. धमाल में नाचने वाला बाँहों उपर करके कन्धों हिलाते हैं. वे चलाते भी हैं. सामी भी संदाल्बर का नाच है. नाचने वाले कुरते और ल्हेंगे पहनते है. किकी में दो औरतें साथ नाचती है. गतका मैं लोग तलवार, चाकू, और लाठी के साथ नाचते है.
जब पंजाबी लोग भंगरा करते है वे बहुत तरह के कपडे पहनते है. आदमी चदरा पहनते हैं. वे कुरते और पगड़ी भी पहनते हैं. पंजाबी औरतें सलवार कमीज़ पहनते है. वे चुन्नियाँ भी पहनते है. ये कपडे बहुत रंगीला हैं.
No comments:
Post a Comment