निराक्षारते का समस्या
निरक्षरता एक बड़ा और बुरा समस्या भारत में है। भारतीय लोगों से ७५% पढ़ और लिख सकते हैं, तो २५% नहीं पढ़ और लिख सकते हैं -- २५% निरक्षर हैं। दुनिया में औसत सक्षारते की दर ८४% है। कुछ देश के सक्षारते की दरों भारत के सक्षारते की दर से बुरे हैं लेकिन भारत में सब से ज्यादा निरक्षरता लोग हैं। भारत में आदमियों के सक्षारते की दर ८२% है लेकिन औरतों के सक्षारते की दर सिर्फ ६५% है। जब लोग नहीं पढ़ और लिख सकते हैं तब उनकी ज़िन्दगी के अवसरों कम होंगे। जो लोग साक्षर हैं, वे खुद और अपने बच्चों के लिए अवसरों की तलाश करते हैं। लेकिन जो लोग निराक्षार हैं, उनको ज्यादा दुनिया के बारे में मालूम नहीं और वे आसानी से चकमा दिए जाते हैं। भारत में ज़्यादातर निरक्षर लोग ६ प्रदेशों में हैं (उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल) जिन में बहुत गरीब लोग रहते हैं। ये बहुत बुरी बातें हैं।
निराक्षारते का एक कारन ये है कि भारत में धन कि असमता बहुत ज्यादा है। गरीब लोगों और उनके बच्चों और बच्चियों को हमेशा काम करना पड़ेगा। अगर काम नहीं करेंगे तो खाना नहीं खाएं। और जब स्कूल जाते हैं तब उनके स्कूलों में अच्छे शिक्षक और अच्छी किताबें नहीं है। कम्प्यूटर भी नहीं हैं। भारत में अच्छे स्कूल बहुत महंगे हैं। और भारत के गरीब लोगों के पास इतने पैसे नहीं है तो अपने बच्चे अच्छे स्कूल तक नहीं भेज सकते हैं। भारत के सर्कार को बहुत ज्यादे पैसे शिक्षे पे खर्चे करने चाहिए। अभी भरात का सर्कार बहुत पैसे "आधार" के अक्र्यक्रम पर खर्चा कर रहे हैं। भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण के बजाय शिक्षे पे पैसे खर्चने की ज़रुरत है। शिक्षा देश के विकास के लिए बहुत अहेम है।
कुछ जानकारी इस निबंध के लिए इन वेबसाइटों से है:
http://en.wikipedia.org/wiki/Literacy_in_India
http://en.wikipedia.org/wiki/Indian_states_ranking_by_literacy_रेट
http://en.wikipedia.org/wiki/Unique_Identification_Authority_of_India#Projected_costs_and_business_opportunities
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