ग्लोबल वार्मिंग
ग्लोबल वार्मिंग १९ वी सदी से चल रही है। पृथ्वी का वातावरण बड रहा है। २० वी सदी के शुरू में प्रुथ्फी का वातावरण १.४ डिग्री फ़रन्हेइत से बड गया। वैज्ञानिको सोचते है कि इसका कारण ग्रीन्हौसे गसेस है। पृथ्वी का वातावरण का परिवर्तन पानी पर बहुत असर पड़ता है। कोई ४०० से ज्यादा देशों को पानी की कमी से खतरा है। ग्लोबल वार्मिंग कि वजह से किसानो को मुश्किल हो रही है। पानी की कमी के वजह से फसल नहीं है।वही नहीं उत्तरी ध्रुव और दक्षिण ध्रुव में बरफ पिगल रहीं है। इस से ध्रुव्य भालुओं की संख्या कम हो रही है।
कुछ लोग कहते है कि ग्लोबल वार्मिंग नहीं हो रहा है। कहते है कि कुछ सदी पहले सब आइस एज के बारे में बात कर रहे थे और अब ग्लोबल वार्मिंग संभव नहीं है।उनका कहना है कि पृथ्वी गरम हो रही है प्राकृतिक रूप से और मनुष्य के व्यवहार इस वातावरण कि परिवर्तन जल्दी बड़ा रही है। ग्लोवल वार्मिंग प्राकृतिक है। एक उदहारण, पिचले साल बरफ गिरना जल्दी शुरू हुआ है और कई महीने तक ठंड था। लेकिन मैं सोचती हूँ कि ग्लोबल वार्मिंग है क्योंकि इस साल मार्च में बहुत गर्मी है और हमें ग्लोबल वार्मिंग को रोकना चाहिए।
ग्लोबल वार्मिंग को रोकने के लिए हमें प्लास्टिक, अख़बार, कागज़ और वगेहरा रीसैकिल करना चाहिए। प्लास्टिक का कम उपयोग करना चाहिए। बिजली के बल्ब भी बदलना चाहिए। गैस का कम उपयोग करना चाहिए। यह करने के लिए कार का कम उपयोग और ज्यादा चलना चाहिए। इस से सेहत पर भी अच्छा असर पड़ेगा। यही नहीं अगर घर में कोई नही है तो बिजली बंद कर देना चाहिए। अगर पेड़ लगाने के अवसर मिला तो पेड़ लगाना वातावरण के लिए अच्छा होगा।यह छोटे कम करने से हम सब ग्लोबल वार्मिंग को बड़ने से रोक सकते है।
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