Sunday 8 April 2012

ग्लोबल वार्मिंग

मेरा "मजोर" भूविज्ञान है तो मैं ने ग्लोबल वार्मिंग बहुत पढ़ा था.  ग्लोबल वार्मिंग का प्राथमिक कारण "ग्रीन्हौसे एफ्फेक्ट" है.  गैस माहौल में "ग्रीन्हौसे एफ्फेक्ट" बनाता है.  सूरज की रोशनी माहौल से जाती है और प्रथ्वी वह सूरज की रोशनी सोखती है.  उस के बाद, प्रथ्वी वह रोशनी छोर्ती है अलग "वावेलेंग्थ" में.  वह वावेलेंग्थ विसिब्ले नहीं है लोग के लिए.  हव "इन्फरेड" रोशनी है.  लेकिन इन्फरेड रोशनी मालौड़ से नहीं जा सकती है तो वह प्रथ्वी पर रहती है, और वह प्रथ्वी गरम करती है.  कुछ साल के पहले ग्रीन्हौसे एफ्फेक्ट अच्छा था क्यों की उस के बिना प्रथ्वी बहुत ठंडी होगी.  लेकिन अब लोगों ने ग्रीन्हौसे एफ्फेक्ट बढ़ाया तो दुनियां बहुत गरम है.  लोग के गाडी और कारखाना "कार्बोन दिओक्षिदे," "मथने," और "जल वाष्प" माहौल में रखते हैं.  वे "ग्रीन्हौसे गसेस" हैं तो वे प्रथ्वी गरम करते हैं.  कार्बोन दिओक्षिदे सबसे बुरा गैस है क्यों की वह सबसे सामान्य है.  मथने भी बहुत बुरा है लेकिंग सामान्य नहीं है.  जल वाष्प बरा समस्या नहीं है.  प्रत्वी वह समस्या मरम्मत कर सकती है लेकिन वह धीमा होगा.  वे समुद्रे कार्बोन दिओक्षिदे सोखते हैं, और भी जवान पौधे सोखते हैं.  लेकिन वह समस्या लोग का दोष है तो लोग को वह मरम्मत करते चाहिए.  हम के कोई विचार हैं लेकिन अब हर विचार संभव नहीं है.  ग्लोबल वार्मिंग बहुत बुरा कई कारण के लिए है.  पहले, वह समुद्र का आकार बढ़ता हैं क्यों की वह बर्फ पिघलाता हैं और गरम समुद्र फैलता है.  जब बर्फ पिघल है तब ग्लोबल वार्मिंग बढ़ता है क्यों की वजह "अल्बेदो एफ्फेक्ट". तो, वह चक्र है.  भी एक गरम दुनिया जानवर मारता है.  कुछ जानवर ठंडा जगह में रहते हैं और जब वे जगह गरम है तब जानवर मरते हैं.  मेरा ख्याल में ग्लोबल वार्मिंग बहुत बरा समस्या है और हम को वह मरम्मत करते चाहिए.

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