Sunday 8 April 2012

भाषा के समस्याओं


जब यह घोषणा की गई थी की भारत का राष्ट्रिय का भाषा हिंदी है, बहुत लोग नाराज़ थे; भारतीय लोग ने सोचे की भारत का सरकार ने उनके संस्कृति मिटाना कोशिश किया. हिंदी खुद अनिश्च्त रूप से परिभाषित है; उसके १३ विभिन्न बोलियों हैं. लोग पूछ की बजाय, सरकार ने हिंदी आधिकारिक राष्ट्रीय भाषा बनाना निर्णय किया, लेकिन राज्य सरकारों अपने भाषा निर्णय करना सकते हैं. इस के लिए जबकि हरयाणा, हिमांचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, और उत्तर प्रदेश के सरकारी भाषा सिर्फ हिंदी है, आंध्र प्रदेश के सरकारी भाषा तेलुगु है, अरुंचल प्रदेश अंग्रेजी है, अस्सं अस्समेसे है, बिहार मैथिलि और हिंदी हैं, छत्तीसगढ़ छत्तीसगढ़ी और हिंदी हैं, गोवा कोंकणी है, गुजरात गुजराती और हिंदी हैं, जम्मू और कश्मीर उर्दू है, झारखण्ड हिंदी और संताली हैं, कर्नाटक कन्नडा है, केरला मलयालम और अंग्रेजी हैं, महाराष्ट्र मराठी है, मणिपुर मेइतेइलोन है, मेघालय अंग्रेजी है, मिजोरम मिज़ो है, नागालैंड अंग्रेजी है, उड़ीसा ओरिया है, पुनजब पंजाबी है, सिक्किम नेपाली है, तमिल नाडू तमिल है, त्रिपुरा बंगाली कोकबोरोक और अंग्रेजी हैं, और वेस्ट बंगाल के सरकारी भाषा बंगाली और अंग्रेजी हैं. 
अंग्रेजी शासकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग करना सकता है. लेकिन यह बहुत महत्वपूर्ण है की ये सरकारी भाषा के लिए राष्ट्रिय भाषा बनेंगे. तब तक, इन सांस्कृतिक भाषाओं सिर्फ द्वितीय श्रेणी रहते हैं.

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