Tuesday 27 September 2011

माचू पीचू



आजकल जब ही हम मंदिर या चुर्च जाते हैं, हम जाते हैं खूब बर्ड़ी और सुन्दर मंजिलों में। यह मंजिलें बनिवी हैं मिति और "सीमेंट" से। लेकिन बहुत पहेले, जब लोगों के पास "मशीन" नहीं थी थो वेह सुब कुछ हाथ से बना ते थे। बचपन से में देखती आ रही हूँ कि एक एसी जागे हैं जो लोग देख कर यकीन नहीं कर पाएंगे कि लोगों ने हाथो से बनाया होगा। परु में एक बहुत सुन्दर मंदिर है, माचू पीछु। "इन्कान" लोग ने बहुत पहेले बनाया था। यह मंदिर पाहार्डों में है। लेकिन जो लोग इसके बारे में पढ़ ते हैं "आर्कीऔलोगिस्ट" वेह देख रहे हैं कि शायद यह मंदिर नह हो। कि यह एक "वार ग्राउँड" हो क्यों कि उसकी "लोकेशन" बहुत ऊची है।
माचू पीछु में असमान और पहार्ड दोनों एक बन जात हैं। इस जगे में दो "सैश्रन्स" हैं । पूरी जागा पथरों की बनी हुई है। एक ही मंदिर में दो और मंदिर हैं, एक का ना, हैं सूरज का मंदिर। माचू पीछु की सब से दिलचस्प बात है कि उसका "दीसाईं" बहुत कठिन है और बिना "मचींस" के, आदमी अब कभी उसकी नक़ल नहीं कर पायेगा.


1 comment:

  1. माचू पिचु एक बढ़ी ख़ूबसूरत जगह है | मुझे भी वहाँ जाना बहुत पसंद हैं क्योंकि मुझे पहाड़ों में चढ़ना और तसवीरें खींचना बहुत पसंद है | यह सच है कि मुझे भी यकीन नहीं हो रहा हैं की 'इनकें' लोग इतनी बढ़ी जगह बनाये और यदि यह जगह एक "वर ग्रौंड" हो, फिर तो और भी महान है कि अब तक यह स्थान खड़ा हैं, इतनी सालों के बाद | यह जगह ज़रूर मेरा "बुच्केट लिस्ट" में हैं |

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