Tuesday 27 September 2011

HW 6: ब्राज़ील


मैं हमेशा जाना छाती थी ब्राज़ील. जब मैं बोहोत छोटी,थी, करीब तीन या चार साल की, मुझे पक्षियों से बोहोत प्यार था, खास तर से मकाउ से. जब भी मुझे दिलवाया गया था एक पक्षियों की किताब या कोई जानवर की किताब मैं सब से पहले इंडेक्स में खोज निकली मकाउ. जब मुझे मिलता मकाउ, मुझे बोहोत ख़ुशी आती उसके रंगीले रंगों को देखे कर, मुझे कोई और जानवर से इतना खुशी नहीं मिलता. एक बार मैंने परा कहीं की मकाउ सिर्फ पानी के जंगलों में रहता है. तभी से me तै करदी की मुझे एक बार ज़िन्दगी में तोह देकना परेगा. इसकी ख्वाइश मेरे सात पूरी ज़िन्दगी रही है.

दो गर्मियों की छूती पहले, दो हज़ार दस में, मेरे पापा और में खूब सोच्सर देखे, क्यूँ की उस गर्मी और गारियों से खास था, दुनिया का सबसे बारे मन्श पर साउथ अफ्रीका में, वर्ल्ड कप हो रहा था. हर दिन हम स्चेदुले देख कर तै करते थे किस वक़्त हम सात सात मिल कर मैच देखेंगे. इसी तारा से मेरा रिश्ता मेरे पापा से बरता रहा. जब वोर्द्ल कप का अंत आया, हम बोहोत उदास पर गए. अपनी उदासी को मिटने के लिए, हम ने तै करदिया के हम दोनों सात सात ब्राज़ील में होने वाला वर्ल्ड कप, दो हराज़े चौड़ा, जाएंगे. मैं पहले बोहोत खुश हुई, यह सुनने के हम असली मैच देखने जा रहे है, फिर मुझे याद आया मेरे बचपन की ख्वाइश और में और प्रसन हो गयी. इसी तारा से मेरे ख्वाइश पूरी हो गयी और में दो हराज़े चौड़ा में ब्राज़ील जा रहीं हूँ, सिर्फ मैच नहीं देखने, पर मेरे सबसे पसंदिता पक्षी, मकाउ.

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