Monday 23 January 2012

हागिया सोफिया, इस्तांबूल

पिछली सेमेस्टर मैं एक अर्कितेक्चुर की इतिहास की क्लास ली और मैं ने इमारते के बारे में बहुत कुछ सीखी | हम ने सिर्फ इमारते की तस्वीरे देखी, इस लिए मैं एक दिन पूरी दुनिया घूमना चाहती हूँ | जिस इमारते मैं क्लास में सीखी, यह इमारते मैं अपनी आखो से देखूंगी | मुझको मालूम है कि मेरी पूरी दुनिया घुमने की इच्छा शायद मुमकिन नहीं है, लेकिन अगर मैं एक शहर जा सकती हूँ, तो वह शहर इस्तांबुल होगा | इस्तांबुल में हागिया सोफिया है, और मैं एक दिन ज़रूर वहा जाउंगी | हागी सोफिया अब एक संग्रहालय है, लेकिन पहले एक बसिलिका था और उस के बाद एक मसजिद था | हागिया सोफिया खास है क्यूँ कि अन्दर जाकर हर आदमी कुछ अलग महसूस करता है | बहुत सारे खिर्द्कियाँ है इस ईमारत में | लोग कहते है कि धुप हागिया सोफिया के अन्दर आती है और लगता है जैसे कि पूरा ईमारत चमक रहा है | जब हागिया सोफिया बन रहा था, तो लोगो दुसरे इमारते की सामग्री का इस्तमाल कर रहे थे | जब लोगो दुसरे इमारते की सामग्री इस्तमाल करते है, हम कह सकते है की जो ईमारत बन रहा है, वह ज्यादा खास है | हागिया सोफिया में बहुत जगह है जिस पर बहुत सुन्दर सजावट है और सजावट देखकर कुछ-न-कुछ हागिया सोफिया के बारे में आप सीख सकते है | क्यूँ कि यह ईमारत का इतिहास में दो धर्म का लोगों ने हागिया सोफिया का इस्तमाल की, आप दोनों धर्म का सजावट देख सकते है | मैं एक आर्किटेक्ट बनना चाहती हूँ, इस लिए मैं इमारते देखने और इमारते के बारे में पर्द्ने का शौक है | 


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