Saturday 19 March 2011

शादी का रिवाज

शादी के दिवस में बहुत रिवाज हैं। एक बहुत मज़ेदार रिवाज जूते छिपते है। यह रिवाज एक परिवारिक रिजाय है, अौर सब बच्चे करते हैं। अवसर में दुलहे को अपने जूते उतारना है। जब वह अपने जूते उतारता है, दुलहन का परिवार उसके जूते चुराना कोशिश करते हैं। इस के बाद, दुलहन का परिवार वे जूते छिपाते हैं। लेकिन दुलहे का पारिवार दुलहे के जूते बचाना कोशिश करते हैं। अगर दुलहन का परिवार जूते छिपाते हैं, तो दुलहे का परिवार को जूते खोजने पड़ेंगे हैं। अगर दुलहे का परिवार न खोजें, अवसर के बाद दुलहन का परिवार दुलहन से पैसे लेंगे, जूतों के लिये। दुलहन का परिवार बहुत पैसे लेना चाहते हैं, इस लिये दुलहे का परिवार उसके जूते बचाते हैं। जब दुलहा अपने जूते उतारता है, दुलहे का परिवार भी जूते लेना कोशिश करते हैं, बचाने के लिये। अगर दुलहे का परिवार जूते लें, तो वे जूते समाते हैं। अगर अवसर के बाद, जूते दुलहे का परिवार के पास है, तो दुलहन का परिवार कुछ पैसे नहीं लेते हैं। लेकिन अाजकल सब लोग योजना बनाते हैं। दुलहन का परिवार जूते एक गाड़ी में छिपाते हैं, क्यों कि सिर्फ़ दुलहन का परिवार जूते ले सकते हैं। दुलहे का परिवार भी करते हैं, अौर कभी-कभी वे लोग जूते नहीं छिपाते हैं, सिर्फ़ अपने पास रखते हैं। अौर अगर दुलहे का परिवार के पास दुलहे के जूते हैं, तो जब दुलहे का परिवार दुलहे को अपने जूते देना कोशिश करते हैं, दुलहन का परिवार जूते चुराना कोशिश करते हैं, एक अाखिरी बार। कभी-कभी लोग लड़ते हैं, जूतों के लिये। लेकिन किसी नहीं को चोट लगती है, सिर्फ़ मज़ा है।

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