Saturday 19 March 2011

शादी रिवाज -- कर्नाटका और बंगाल

मेरी माँ कन्नडा है और मेरे पिताजी बंगाली है। इस लिए में दोनों शादी रिवाज के बारे में जानती हूँ।
कर्नाटका में, शादी से पहले, दूल्हा दुल्हन दोनों बहुत काम है। हल्दी रसम की जैसा हमारा एक रिवाज है। दुल्हन और सबसे बड़ी चचेरा बेहें शास्त्री जी के साथ एक पूजा करते थे। उस के बाद, दुल्हन का परिवार और ससुराल दोनों पूजा में आयेंगे और दुल्हन के लिए आशीर्वाद दे दौंगी। जब सारा संस्कार होगया, शास्त्री जी और दुल्हन के माँ/बाप दोनों उसे पर पानी डाल दिया। यह बहुत विशेष रिवाज है। मेरी माँ का परिवार ब्रह्मिन है और हम सब को हिन्दुइस्म में बहुत विश्वास है। इस रिवाज का नाम है, "नांदी"। आमतोर पर, यह शादी ग्यारा दिन से पहले होते है।
बंगाल में, हल्दी रसम की जैसे एक रिवाज है। बंगाली में कहते है "होलुद कोटे" । सब को दुल्हन में हल्दी डालते हैं और सब उन को आशीर्वाद देते हैं। यह उत्तर भारत का हल्दी रसम बहुत समानता हैं। जैसे यह दुल्हन को होता हैं, वैसे यह भी दूल्हा को होता हैं। दोनों बंगाल और कर्नाटका में, हम सब शादी से एक दिन पहले, हम मेहँदी लगते हैं। बहुत मज़ा मस्ती होते हैं और सब अच्छे समय लग रहे हैं।
कर्नाटका शादी में, बरात का जैसा रिवाज भी हैं। दूल्हा का परिवार और दोस्त धूम धाम से मंदिर जाते हैं और दुल्हन का परिवार सब जो स्वागत करते हैं। इस के बाद दूल्हा अन्दर जाता हैं और शादी शुरू होती हैं।
बंगाल में बरात होती हैं और मज़ा मस्ती, उत्तर भारत का जैसा, होती हैं। जब दूल्हा का परिवार मंदिर पौंचता हैं, दुल्हन का परिवार सब को स्वागत करते हैं और फिर शादी शुरू होती हैं।
दोनों का शादी बहुत मज़ा हैं, लेकिन दोनों में कोई गोदा नहीं हैं। शादी दिन का रिवाज अलग होती हैं लेकिन दोनों भी बहुत मस्त से करते हैं।

No comments:

Post a Comment