Monday 21 March 2011

सात फेरे

हिन्दुस्तानी शादियों में लोग खूब मानते हैं| शादी के पहले, शादी के बीच में, और शादी के बाद कई रिवाज़ मनाये जाते हैं| जैसे एन्ग्रेज़ी लोग की विवाह में दुल्हन और दूल्हा एक दूसरे को अंगूठी पहनाते हैं वैसे हिन्दू विवाह में कुछ विशेष चीज़ की जाती है| एक महत्वपूर्ण रिवाज़ का नाम सात फेरे हैं| हिन्दुस्तानी शादियाँ सत फेरे के बिना शायद कभी नहीं होती होगी क्योंकि यह रिवाज़ इतनी मतलब से भरी हुई है| जैसे यहाँ की शादी में दूल्हा दुल्हन वओव्स (vows) लेते हैं, वैसे ही सात फेरे हिन्दुस्तानी शादी का वादा हैं| जब दूल्हा और दुल्हन सात फेरे में चलते हैं दोनों एक दूसरे से बंधे हुए हैं| दुल्हन की साड़ी दूल्हा के कपड़े से बांध जाती है| इस गांठ से दूल्हा दुल्हन की जोड़ी शुरू होती हैं| फिर सात फेरे शुरू हो सकते हैं| सात फेरे एक पवित्र अग्नि के आस पास (अरौंद) होते हैं| जब कोई वादा अग्नि के सामने बन जाता है तो हिन्दुओं मानते हैं की यह वादा नहीं टूट सकता| इसी लिए शादी के वादे अग्नि के चरों और में (?) किये जाते हैं| हर फेरा का मतलब अलग हैं| जब दूल्हा दुल्हन पहले फेरे में चलते हैं तो वे प्राथना करते हैं की दोनों को साथ साथ ही भोजन मिले| दुसरे फेरे में वे दोनों इश्वर से स्वस्थ और सफल जीवन मांगते हैं| तीसरे फेरे में वे प्राथना करते हैं की वे दर्द और ख़ुशी में हमेशा साथ ही रहे| वे इस फेरे में भगवान से धन भी मांगते हैं| चौथे फेरे में वे प्राथना करते हैं की आपने रिश्ते और परिवारों में हमेशा प्यार और सम्मान बड़ते रहें| पांचवे फेरे में दोनों आशा करते हैं की उनको सुन्दर प्यारे बच्चे मिलें| छठे फेरे में दूल्हा दुल्हन भगवान से शांत लम्बी जीवन मांगते हैं| वे प्राथना करते हैं कि इस जीवन में दोनों साथ में हमेशा रहें| अंतिम फेरे में दूल्हा दुल्हन प्राथना करते हैं कि दोनों के बीच में समझ, दोस्ती, और सच्चाई हमेशा रहें| सातवे फेरे ख़त्म करके दूल्हा दुल्हन पति पत्नी बन जाते हैं| पति पंतनी को मंगलसूत्र पहनता है और पति पत्नी के बाल के भाग में सिन्दूर लगता है|  
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