अच्छा भोजन करने का बहुत मज़ा आता है. शादियों में हम अपने सभी परिवार वालो और मित्रो से मिलते है, साथ में मिलकर खाते पीते है और नाचते गाते है. शादी हमेशा एक त्यौहार की तरह होती है.
Sunday, 20 March 2011
शादी के बाद
वैसे तो हिन्दु शादिया कई तरह की होती है, जैसेकि गुजराती, पंजाबी, मराठी, तमिल, परन्तु इन सभी शादियों में कुछ वैदिक नियम हमेशा एक्से ही होते है, जिनके बिना हिन्दु शादी पूरी नही होती. हिन्दु शादी हमेशा मंडप में ही होती जिसमे एक छोटा सा पीवत्र आगिन कुंड जरुर होता है. और इस शादी के मंडप में कोई चप्पल-जूते पहनकर नही जा सकता है. दुल्हन अक्सर लाल साडी पहनती है और बहुत सारे जेवर पहनती है और दुल्हा शेखानी और टर्बन पहनता है शादी के अगले दिन दुल्हन हाथो और पैरो में महंदी लगाती है और सब साथ में खाते पीते और नाचते गाते है. शादी के दिन दुल्हा और उसके परिवार और मित्रो के साथ सज-घज के थाट- माठ से नाचते गाते हुए बारात लेकर दुल्हन को लेने आता है. वधु की माता दुल्हे का पंडित के साथ पूजा विधि से स्वागत करती है और इसी समय दुल्हे के साले और सालियों उसके जूते चुरा लेते है, और तभी वापस करते है, जब दुल्हा उनके छोटे साले सालियों को मुह मागा पैसा देता है. मुझे इस रिवाज़ में बहुत ही मज़ा आता है. फिर दुल्हा मंडप में बैठता है और दुल्हन के माता पिता उसके पैर धोकर फिर अगिन के सामने स्वागत करते है. फिर दुल्हन मंडप में आती है और पंडित जी पूजा विधि के साथ एक दुसरे को वरमाला और अंगूठी पहनवाते है. फिर दुल्हा अपनी दुल्हन को मंगलसुत्र भी पहनाता है. फिर दोनों पीवत्र अगिन के सात मंगल फेर लेते है और दुख- सुख में हमेशा साथ निभाने का वचन देते है. वधु के माता पिता पूजा विधि के साथ अपनी बेटी असके पति को देते है जिसे " कन्या दान " कहते है. शादी की विधि पूरे होने के बाद वर- वधु के परिवार जन और मित्र मंडप में आकर उन्हें बधाई और उपहार देते है. और फिर वर-वधु सभी बड़े बूदो के पैर छूकर अपने शादी शुदा जीवन के लिएआशीर्वाद लेते है. अंत में दुल्हा और दुल्हन दोनों के परिवार साथ में बैठकर बहुत अच्छा भोजन करते है. और उसके बाद दुल्हन के घरवाले उसे अपने पति के घर बिदाई करते है. मुझे अच्छे अच्छे भारतीय कपड़े पहनने का
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment