Sunday 20 March 2011

मेहँदी

शादी के पहली लड़की को हाथ मेहँदी डाल करती है. सभी उसके सहलियो और उसके माथा जी, मौसी, चाची गर पर आती है. मेहँदी एक परंपरा है और जैसे लगता है. लेकिन मेहँदी स्थायी नही है. लड़की को हाथो और पैरों पर मेहँदी डाल करती है. कब मेहँदी डाल करती, पहली रंग हरी है. समय के बाद लड़की मेहँदी निकल करती है और जैसे टट्टू लगता है. मेहँदी का रंग लाल है. वहा कहावत है की अगर मेहँदी अँधेरी है तो उसके पति वह बहुत प्यार है. अक्सर यहाँ मेहँदी सरेमोनी लड़की का गर में है लेकिन कभी कभी बन्क़ुएत हॉल में है. यहाँ सरेमोनी बहुत मज़ा आता है. कभी कभी उसके पति का नाम मेहँदी में है और दुल्हन यह खोज करती है. उसके सहलियो गुलाबी और पीला कपरे पहनते है. दुल्हन लाल कपर पहेनती है. अक्सर गर में संगीत खेल रहा है और कभी कभी उसके सहलियो नाच करते है. मै सोचती हु की मेहँदी बहुत सुन्दर है लेकिन मेहँदी बहुत बदबू है. कब मेहँदी सुखा किया तो नीबू का रस मेहँदी को डाल करता है. फिर मेहँदी अँधेरी हो लगता है. एक बुरा बात है की कब मेहँदी पहेनती तो कुछ चीज़े नही हाथ लगा क्यों की फिर मेहँदी करब हो गई. यह सोचती है की मेहँदी बहुत अच्छी ओमें है और मेहँदी को मतलब शकित और प्यार है. शादी के पहली कई दुल्हन मेहँदी डाला और यह सरेमोनी बहुत मज़ा आती है. 

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