Saturday 19 March 2011

भारत के शादी के रिवाजे







भारत में तरह-तरह के शादी के रिवाजे हैं। हर प्रदेश में कोई अनोखा रिवाज है। आज मैं हिन्दू शादी के रिवाजे की बात करूँगा। मैं भारत के गुजरात प्रदेश पर ध्यान रखूँगा। गुजरात के बड़े शहरों जैसे वड़ोदरा और अहमदाबाद में दोनों तयशुदा और प्रेम शादियाँ होती हैं। लेकिन आम-तौर पर गुजरात के गाँवो में तयशुदा शादियाँ ज्यादा होती हैं। शादी से पहले लड़का का परिवार लड़की के घर पर उसका हाथ माँगने के लिए जाता है। लड़की के परिवार की अनुमति के बाद सबसे पहले लड़के और लड़की की सगाई का रसम होता है। कुछ समय बाद, शादी के थोड़े दिन पहले, मेहँदी, एक घर की शांति के लिए पूजा और गरबा के प्रोग्राम होते हैं। शादी के दिन दूल्हा एक घोड़ा पर बैठकर, और उसके रिशतेदोरों और दोस्त नाचते हुई शादी के मंडप पर आते हैं। लोग इस वक़्त कभी-कभी गरबा भी करते है। जब दूल्हा हॉल पर आता है, तब दुल्हन की माँ दुल्हे की आरती उतरती है। फिर दुल्हन आती है और दुल्हे उसको एक फूल की माला पहेनाने की कोशिश करता है। परन्तु, लड़की के भाई दुल्हन को उठालेते है और यह काम दूल्हा के लिए मुश्किल करते है। यह रसम के बाद सब मंडप पर जाते है। पंडित जी मंडप पर दोनों की शादी करवाते है। वह कुछ पूजा करते है और फिर दूल्हा दुल्हन को सुहाग माला पहनाता है, सिन्दूर लगाता है और दोनों सात फेरे लेते है। शादी के बाद, विदाई का रसम आता है जब लड़की का परिवार दुल्हे और उसके परिवार को दुल्हन को दे देते है। इस समय लड़की का परविर खूब रोता है। जब दुल्हन दुल्हे के घर पर आती है, तब वह घर के अन्दर आने से पहले एक चावल भरे बर्तन को अपने पाव से लात मारती है। उसके बाद, दुल्हन और दूल्हा
एक अंगूठी का खेल खेलते है। अंत में एक भोजन का रसम होता है। दुल्हन और दुल्हे के सारे रिश्तदार और दोस्त एक हॉल में मिलते हैं। सब वहाँ खाते है और दुल्हे और दुल्हन के दोस्ते कुछ नए हिंदी फिल्मों के गाने पर नाचते है।

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