Sunday 24 October 2010

मेरी ज़िन्दगी का सबसे अच्छा दिन

में बचपन से बहुत से खेल खेलता हूँ और मुझे खेलों में आगे बढ़ने का हमेशा से शौक था | मेंने छोटे होते हुए क्रिकेट, फूटबाल और गोल्फ खेला है | परन्तु जब से में १४ साल का हुआ हूँ मैंने सारे खेल छोड़कर सिर्फ गोल्फ पे अपना ध्यान लगाया है | मुझे यह खेल खेलके बहुत आनंद आता है और में ये खेल पूरा दिन बिना तंग आये खेल सकता हूँ | में हर दिन शाम को यह खेल खेलने जाता था और खूब अभ्यास करता था | मनेरी इस्सी म्हणत करके में इस खेल में बहुत आगे बढ़ना शुरू हुआ और बहुत जल्द ही भारत की तरफ से खलेने लगा | जब भी में टीवी पर बड़े बड़े गोल्फेरों को खेलते देखता और फिर सोचता की उन्हें इतना अच खेलके कितना मज़ा आता होगा | उससे मुझे और अभ्यास करने की आग मिली और में और भी ज्यादा खेलने लगा | इतने साल बहुत अभ्यास करने के बाद मेरे ज़िन्दगी का सबसे अच दिन आचानक ही आगया | १७ साल की उम्र तक मैंने भारत की तरफ से १७ बार खेला हुआ था और अभ में एक पूरी दुनिया का जूनियर  वर्ल्ड कप खेलने ब्राज़ील गया | ये मैच तीन दिन का था और दो दिन के बाद में तीसरे स्थान पर था | में तोह दो दिन के बाद ही तीएसरे स्थान पर इतना खुश था की मुझे आगे बढ़ने की इतनी इच्छा भी नै थी | तीसरइ दिन खेर मैंने खेला और सिर्फ तीसरे स्थान पर आने के लिए जी जान की म्हणत लगा दी | बहुत कुछ करते कराते में अंत में जाकर पहले स्थान पर आया | सबसे पहले तोह मुझे यकीन ही नहीं हुआ क्यूंकि में तोह सिर्फ खेलने पर ही इतना खुश था और फिर तीसरे स्थान भी मेरे लिए बहुत ज्यादा अच था | तभी जब मैंने फिर पहले नंबर पर ख़तम किया तोह मुझमें इतनी ख़ुशी थी की वोह दिन आज तक मेरे जिंदिगी का सभसे यादगार दिन है |

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