Monday 22 March 2010

शादियों कि फेरा

एक रिवाज जो हिंदू शादियों में हमेशा होते है यह फेरा. हर हिंदू शादी में कम से कम चार फेरे होते है. इन फेरो जीवन के चार मुख्य बताते है. ये धर्म, अर्थ, कम और मोक्ष है. लेकिन भारत में यह रिवाज भी अलग अलग तरीके से करता है. गुजराती और सिंधी शादियों में अगनी का चार फेरे लेते है, लेकिन ज्यादा भारतीय संस्कृति में सात फेरे लेते है. फेरो से पहले, दुल्हन दूल्हे के दाईं तरफ बैठी है, लेकिन फेरे के बाद, वह उसका बाईं तरफ बैठी है, यह बताता है कि अब पत्नी अपना पति के दिल के पास आ गयी है. जब शादी में जोड़े सात फेरे लेते है, तब दूल्हे पहेले चार फेरे में आगे जाता है. इस के बाद, जो पिछले तीन फेरे में दुल्हे दुल्हन के पीछे चलता है. इस रिवाज से कहे जाते है कि पत्नी हमेशा पति का रास्ता बताएंगे. गुजराती शादी में यह ही आर्थ है, लेकिन दूल्हे पहले तीन फेरे में आगे जाता है, और दुल्हन चौथे में आगे जाती है। जब फेरे ख़तम हो जाये, तब कहे जा सकते कि वे पति-पत्नी है।

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