बहुत भारतीय शादी के रिवाज हैं। संगीत संध्या एक मजेदार रिवाज है। वह रिवाज उत्तरी भारत में सामान्य है। उस रिवाज में बहुत लोक संगीत और नाच है। दोनों परिवार साथ साथ नाच करके गाते हैं। वे ढोलकी बजाते हैं। ढोलकी एक छोटा ड्रम है। दुल्हन और दूल्हा अपने परिवार परिचय कराते हैं।
मेंहदी उत्सव दूसरा मजेदार शादी का रिवाज है। अक्सर दुल्हन का परिवार ही वह रिवाज उत्सव मनाता है और वह शादी के बाद कुछ दिन ही होता है। उस रिवाज में लोग अपने हाथ और पैर पर लाल-भूरा रंग पाते हैं। मेंहदी का डिज़ाइन बहुत "डिटेल्ड" है। कभी-कभी लोग डिज़ाइन में दूल्हा का नाम लिखता है। वह रिवाज में भी औरत नाच करके गाती हैं। वे रंग-रंगीली ड्रेस पहनती हैं।
तीसरा रिवाज बरात निकासी है। वह दूल्हा की निकासी शादी के जगह को है। दूल्हा अपने परिवार और दोस्त से घोड़े या हाथी पर चलाता है। बरात रंग-रंगीला और भव्य है। दूल्हा ट्रडिशनल कपड़ा पहनता है। कुछ दूल्हे फूल से पगड़ी पहनता है। फूल उसके चेहरे पर हैं। रिश्तेदार उसके माथे पर तिलक पाते हैं। लोग नाच करके ड्रम बजाते हैं। जब दूल्हा पहुंचता है तब कोई स्वागत-गाना बजाता है। वह दरवाजे पर दस्तक देकर इमारत में जाता है।
Monday 22 March 2010
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