पहेल तो मैँ जूते चुराने की रस्म के बारे में बात करना चाहती हूँ। मूझे लगता हैं कि कई साल पहेल यह रस्म ज्यादा होता था, क्योंकि मैँ एस के बारे में बहुत सुनी हूँ लेकिन मैँ ने कभी देखा नहीं है। मैँ अक्सर यह रस्म फिल्मो में देखती हूँ, जैसे 'हम आप के हैं कौन', एस फिल्म में एक गाना हैं, 'जूते दो पैसे लो', जो यह रस्म के बारे में हैं। यह रस्म बहुत मज़ेदार लगता है, एस लिए मैँ चाहती हूँ कि यह रस्म मेरे शादी में हो।
संगीत प्रोग्राम एक और रस्म है जिस में बहुत मज़ा आता है और मूझे पसंद है। मैँ भारत में दो-तीन शादियाँ मैँ गयी हूँ और संगीत प्रोग्राम शादी के एक दिन पहेली होता है। और यह बहुत ही बड़ी पार्टी है तो अक्सर यह एक बड़े हॉल में होता है। प्रोग्राम में दुल्हन और दूल्हा के सरे रिश्तेदारों को बुलाते है और सब के लिए बहुत खाना मंगवाते है। दुल्हन और दूल्हा के कइ करीब रिश्तेदार कुछ तैयार करते है। जसे जब भी मैँ शादी में जाती हूँ मैँ हर बार कोई अच्छे गाने पर नाच तैयार करती हूँ और संगीत प्रोग्राम में सब के सामने करते हूँ। क्योंकि मूझे नाचने बहुत शौक है, मूझे संगीत प्रोग्राम पर बहुत मज़ा आता है।
Thursday, 18 March 2010
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