Monday 22 March 2010

शादी - चिराग खेर

भारती शादिया में बहुत सारे रस्मे होते हैं। गुजराती शादियों में बहुत मज़ा आता हैं। गुजराती शादी में खूब समय चाहिए। कम से कम तिन दिन तो ज़रूरी चाहिए। जब मैं ग्यारह साल का था, मैं भारत गया था। एक महीने में हम तिन शादिया में गए थे। मेरे चचेरे भाई, और दो फुफेरी बहन की शादियाँ थी। मुझे बहुत कुछ ख़ास बाते और रसमें याद नहीं हैं लेकिन मुझे याद हैं की बहुत खुश था और बहुत मज़ा आया था। गुजराती शादियाँ बहुत लम्बी होती हैं क्योंकि बहुत रस्मे होते हैं। एक दिन सब मामा के परिवार से आते हैं और दूल्हा या दुल्हन को भेंट और आशीर्वाद देते हैं। फिर दुसरे दिन पर सब औरते माता जी के मंदिर मैं जाते हैं और वहा एक पूजा करते हैं। उस रात पर गाव में एक बड़ी बरात जेसा रखते हैं। तब दूल्हा को घोडा पर सारा गाव में घुमाते हैं। वोह प्रसेशन में नाच गाना होता हैं और धमाके होते हैं। फिर तीसरा दिन पर शादी होती हैं। तब दूल्हा के सब बरात में आते हैं। बहुत सारा नाच गाना और धमाके भी होते हैं। बरात ख़त्म होने के बाद, शादी शुरू होती हैं। शादी मैं दो-तिन घंटे और लगते हैं। हमारे धर्म की विधि थोड़ी और लम्बी हैं। शादी ख़त्म होकर विदाई होती हैं। तब दूल्हा दुल्हन को उसके घर ले जाता हैं.

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