दूल्हा और दुल्हन यह एक डरी हुई आग के चारों ओर करतें हैं, और यह आग परमेश्वर से प्रतीकात्मक होती है.
जब दूल्हा और दुल्हन यह साथ फेरे लेतें हैं, तब पंडितजी मंत्र सुनतें हैं और शादी के महत्व की बात करतें हैं. इसी के बाद दूल्हा दुल्हन की मांग में सिन्दूर भरता है और उसे मंगलसूत्र भी पहनाता है. दोनों सिंदूर और मंगलसूत्र मजबूत धार्मिक प्रभाव है और एक शादी शुदा औरत का पवित्र प्रतीक हैं. इस रस्म के बाद दुल्हन की विदाई होती है और वह अपने पति के घर, अपने ससुराल, चली जाती है.
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