Monday 22 March 2010

शादी कि रसम

हिन्दू शादी में बहुत सरे अलग अलग तरीके के है। एक रसम जो मेरा परिवार करता है जूता चुराना का खेल। इस में दोनों दूल्हा और दुल्हन के परिवार और दोस्त एक दुसरे के सात खेलते है। यह शादी के पहले शुरू होता है। जब दुल्हन मुन्द्प पर जथा है वह अपने जूते निकालते है। उसके बाद दोनों रिश्तेदारों जूता चुराने क़ी कोशिश करते है। जब वहा जूते चुराते है। उनको जूते फिर छुपाना पदता है। फिर थोड़े वक्त के बाद जो भी परिवार ने जूते नहीं छुपाये उनको जूते दुन्दना पड़ता है। फिर वह थोड़ी देर के लिए दुन्दते है। बहुत मज़ा आता है और कभी कभी लोग को चोट लगती है। जो भी परिवार के पास जूते है उनको दुसरे परिवार से पैसा मिलता है। यह खेल का नाम जूता छुपाई है।

दूसरा रसम सप्तपदी एक रसम है जो शादी में होता है। दुल्हन और दूल्हा सात चक्र में चलते है। दोनों हवन के चक्रे में चलते है। हर चक्र का अलग अलग मतलब होता है। पहले छे चक्रे धुलान आगे चलती है और आखरी चक्र दूल्हा आगे चलता है। जब वह सारे चक्रे ख़तम करते है तुब वह एक शादी शुदा कपुल बुन जाते है।

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