Thursday 22 October 2009

नैंसी द्रव

आज कल मुझे किताबें का एतना शौक नहीं रा। लेकिन बचपन में मुझे नैंसी द्रव की किताबें पसंद आती थी। मुझे वे किताबें पसंद थे जिस में कोई राज़ या रहस्य थी क्योकि मुझे पढ़ने में मज़ा आता। हर नैंसी द्रव कहानी में कोई न कोई बदमाश होता जो कुछ बदमाशी करता। और जब नैंसी द्रव को पता करना पड़ता कि यह बदमाश कौन था तभी मुझे किताब पढ़ने का मज़ा आता। जैसे नैंसी द्रव को कुछ सबूत मिल जाता तब ही धीरे-धीरे बदमाश का जान-पहचान और नजदीक आता। कई बार नैंसी द्रव कि जान पर हमला होता था और मुझे कभी-कभी डर लगता था खासकर जब मैं रात को पढ़ती थी। लेकिन हमेशा की तरह नैंसी द्रव कामयाब होती और वह बदमाश को पाकर लेती। मुझे ऐसी कहानियाँ मज़ेदार लगती - जिस में कोई मुजरिम हो और कहानी उसकी तैलाश के बारे में होती।

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