Thursday, 9 December 2010

अनीत hw 17 ११.२२.२०१०

अनीत
hw 17
११.२२.२०१०


कया अापसे कभी कोई भूल हईु है

मुझे बहुत बार भूल हो जातें है। कइ ह्फ़ते मुझे लगता है िक हर िदन कोई भूल हो जाता था। िपछले ह्फ़ते, मैं एक “फेलोिशप एपिलकेशन” िलख रही थी। यह फेलोिशप एक “पोस्त-डाक्टोरल पिज़शन” के िलये है। पिज़शन ट्रान्टो यूिनवर्स्टी में है। मुझे लगा िक यह पोिज़शन अगले साल में पहेली अगस्त शुरू हौगी। हाय! मुझे पता चला िक पोिज़सन पहेली जूलाई से शुरू होगी। मैं अपना डिसर्टेशन इतना जलदी नहीं खतम कर सखती हूँ। मैं बहुत परेशानी थी कयोिक मैंने अपनी एपिलकेशन से इतनी मेिनत दी थी।

एक बार, मैंने बहुत बड़ी गलती की। मैं भारत में थी, अौर मुझे अफ़रीका से जाना पड़ा। मुझे िदल्ली से “इिथोपीयन एयरलइन” दफ़तर से जाना पड़ा था। मेरा िटकट नहीं “कनिफर्म” हुअी, आौर दौ िदनों के बाद मुझे एक फ़लईट िमली। लेिकन िफ़र मुझे एक अोर गलती हुअी। बारा बजे दोपहेर के बजाय, मुझे लगा िक मेरी हवाई जहाज बारा बजे रात से जायेगा। मैं बहुत अराम से हवाई पत्तन से पहुंची, अौर मुझे इकदम पता चला िक मेरी फ़लाईट चूठ गायी थी। मैं बहुत परेशाानी हो गयी थी। मैं एक रात िलये होटेल में ठहरी, िफ़र एक अोर िदन के बाद अफ़रीका से पहुंच गयी थी।

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