Wednesday, 1 December 2010

मेरी गलतियाँ

इमानदारी में मैं अपने जीवन में ध्यान से नहीं काम करती हूँ। वैसे मेरा जीवन बहुत अस्त-व्यस्त है। इस के बारे में मैं बहुत उदास हूँ लेकिन जो है वो है। और क्योंकि मेरा जीवन अस्त-व्यस्त है मुझ से बहुत भूलें हुई हैं। पहले, क्योंकि हमेशा बातें हो रहे हैं, मैं अक्सर चीवें भूलती हूँ। कभी-कभी यह होमवर्क है, लेकिन दूसरी बार मेरी सेल-फोन या मेरा बटुआ या मेरी चाबियां वगैरह। कभी-कभी ये सामान नहीं भूलती हूँ लेकिन घटनाएँ भूलती। उदारहण के लिए दो नवंबर को मेरा पास एक सम्मलेन अपने बेटे कि अध्यापिका के साथ थी लेकिन एक ही समय मेरी पास एक जरुरी विज्ञान कि गोष्ठी थी। दोनों बहुत महत्त्वपूर्ण थी। उस समय मैं अपना सम्मलेन अपने बेटे कि अध्यापिका के साथ भूल गई। इस के बारे में मैं बहुत ख़राब महसूस कर रही थी। अगले दिन मैंने अध्यापिका के साथ एक और सम्मलेन का इन्ताम किया लेकिन फिर भी मैंने अध्यापिका से मिलना भूली। दरासन, तीन बार मैंने अध्यापिका से मिलना भूली। हर बार मैं बहुत शरमिंदा है थी।

No comments:

Post a Comment