अली अकबर खान 14 अप्रैल 1922 जन्म हुआ था और एक हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीतकार, सरोद बजाने के लिए जाना जाता था. उसने लोगों को पश्चिम में भारतीय शास्त्रीय संगीत को सुनाया. उन्होंने पांच ग्रैमी पुरस्कार के लिए नामित किया गया था और 1989 में भारत का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण दिया. खानसाहिब गांव शिबपुर, बांग्लादेश में पैदा हुआ था.उसके जन्म के बाद खान के परिवार मध्य प्रदेश, भारत को लौट गया. वहाँ अपने पिता महाराजा के लिए अदालत संगीतकार था.
उनके पिता, अलाउद्दीन खान, एक सख्त शिक्षक था और उनके पिता ने बहुत घंटे के लिए खंसाहिब से अभ्यास करवाएं. इस समय के दौरान उन्हें कई महान संगीतकारों से मिलें: तिमिर बरन, पन्नालाल घोष, और रवि शंकर. अभ्यास के वर्षों के बाद उन्हें 1936 में इलाहाबाद में एक संगीत सम्मेलन में अपनी पहली प्रदर्शन दिया. 1944 में, दोनों शंकर खान और खानसाहिब मैहर छोड़ दिया करने के लिए उनके संगीत कैरियर शुरू किया. खान 'एयर लखनऊ' के लिए सबसे कम उम्र के संगीत निर्देशक बन गया और तब बंबई आ गए. एक रिकार्ड के लिए वह से राग चंद्रनंदन बना. यह रिकॉर्ड भारत में एक बड़ी सफलता थी और राग से खान्सहिब का नाम पूरा दुनिया को चर्चा हो गया.1956 में, खानसाहिब कॉलेज कलकत्ता में संगीत की स्थापना की. उसको इच्छा है कि दुनिया को भारतीय शास्त्रीय संगीत सिखा था. उसने सैन राफैएल, कैलिफोर्निया में एक और स्कूल की स्थापना की.
खानसाहिब अमेरिका में पहले भारतीय संगीतकार भारतीय शास्त्रीय संगीत की एल्बम बनाकर और अमेरिकी टेलीविजन पर सरोद भेजा. खानसाहिब ने अपने जीवन के पिछले चार दशकों के लिए अमेरिका में रहते थे. उन्होंने दौरा किया था जब तक उसका स्वास्थ्य खराब हो गया. वह 2009 में गुर्दे की विफलता की मृत्यु हो गई. अली अकबर खान तीन बार शादी की और सात पुत्र और चार पुत्रियाँ हैं. उनके सबसे बड़े पुत्र, आशीष खान भी एक सम्मानित सरोद वादक है.
Tuesday, 7 February 2012
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