भारत में कवयित्री और क्रांतिकारी थी. इस कवयित्री फरवरी 13 पर 1879 में पैदा हुआ थी. उसका नाम सरोजिनी नायडू थी लेकिन उस ने कभी कभी भारत की बुलबुल बुलायी थी . कवयित्री का पिता एक बहुत बड़ा आदमी था.उसने निजाम कॉलेज शुरू कर दिया. उसकी माँ भी कवयित्री थी और वह बंगाली में लिखती थी.
सरोजिनी जी आठ बच्चों के पहली थी.
एक भाई कलाकार था. एक और एक भाई क्रांतिकारी था.
नायडू जी उर्दू, तेलुगु, अंग्रेजी, बंगाली, और फ़ारसी बोल सकता है.
जब वह पन्द्रह थी वह इंग्लैंड चले गी थी.
वहाँ उसने गिरतों कॉलेज, काम्ब्रिद्गे की उनिवेर्सित्य भरती किया.
सरोजिनी जी आठ बच्चों के पहली थी.
एक भाई कलाकार था. एक और एक भाई क्रांतिकारी था.
नायडू जी उर्दू, तेलुगु, अंग्रेजी, बंगाली, और फ़ारसी बोल सकता है.
जब वह पन्द्रह थी वह इंग्लैंड चले गी थी.
वहाँ उसने गिरतों कॉलेज, काम्ब्रिद्गे की उनिवेर्सित्य भरती किया.
जब सरोजिनी बहार थी उस ने कॉलेज शुरू किया. यह बहुत छोटा था.
जब वह सिर्फ पन्द्रह था उस ने डा. गोविंदराजुलू नायडू से मुलाकात की.
जब वह कॉलेज खत्म वह भारत वापस आया. जब वह 19 साल का थी उसने डॉ.नायडू शादी कर ली. सरोजिनी जी ब्रह्म थी लेकिन डॉ.नायडू नहीं था.
भारत में इस समय इस तरह का शादी के पास नहीं था.
जब वह कॉलेज खत्म वह भारत वापस आया. जब वह 19 साल का थी उसने डॉ.नायडू शादी कर ली. सरोजिनी जी ब्रह्म थी लेकिन डॉ.नायडू नहीं था.
भारत में इस समय इस तरह का शादी के पास नहीं था.
फिर भी उनके शादी अच्छा था. उनके चार बच्चों थे. सरोजिनी जी की बेटी उसके बाद पश्चिम बंगाल के राज्यपाल बने.
1925 में सरोजिनी जी राष्ट्रीय कांग्रेस की पहली महिला राष्ट्रपति बन गई. वह गांधी के साथ जेल में बंद थी. इस के समय "नागरिक अवज्ञा आंदोलन" था.
उसने भी महिलाओं के लिए कई अच्छी बातें किया. उसने भारत में महिलाओं के लिए भाषण दिया.
वह 1942 70 साल की उम्र में मृत्यु हो गई. उसने 50 साल के लिए लोगों को बहुत अच्छा किया. उस समय में वह कई कविताएं, गीतों, और किताबें लिखी.वह बच्चों की थी, शादी थी, प्यार करती थी, और एक नेता बन गयी. वह महिलाओं के लिए एक बहुत अच्छी उदाहरण बन गयी. यह सरोजिनी नायडू थी.
वह 1942 70 साल की उम्र में मृत्यु हो गई. उसने 50 साल के लिए लोगों को बहुत अच्छा किया. उस समय में वह कई कविताएं, गीतों, और किताबें लिखी.वह बच्चों की थी, शादी थी, प्यार करती थी, और एक नेता बन गयी. वह महिलाओं के लिए एक बहुत अच्छी उदाहरण बन गयी. यह सरोजिनी नायडू थी.
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