Wednesday, 18 January 2012

मेरे दोस्त,
मैं सुना हैकि आप को हिंदी को जाना चाहता है. यह बहुत अच्छा समय हो गए आप को कोय जगह समुर्द के पास जाना चाहिए इस लिए सब दुसरे स्थानों भारत में बहुत बहुत गर्मी होता. या अगर आप कोय स्थान समुर्द नहीं के पास फिर आप को बहुत पानी की बोत्तुल और कुछ प्रेशंसके ले चाहिए. आप को भी एक त्रवेल अगेंट को कह चाहिए एक त्रवेल अगेंट आप को मदद करेगा पलने की टिकेट खरीदना के साथ यह त्रवेल अगेंट भी आप को मदद करेगा एक अच्छा होटल खोजना के साथ मुझे मालूम है की आप बहुत रुपैये नही के पास है लेकिन एक त्रवेल अगेंट आप को मदद करेगा कम पैसे  बचने के साथ तो आप को उस त्रवेल अगेंट को जेल्दी से फोन कर चाहिए फिर अंत में आप इंडिया पर पहुंचेगा, आप को एक तक्सी ड्राईवर को फोन कर चाहिए. यह तक्सी ड्राईवर आपकी होटल को ड्रिवे करेगा फिर आप को नहीं चल परेगा. भारत में, आप आराम कर सकता है. लेकिन आप को यद् कर चाहिए की आप भारत में बहुत नया और दिलचस्प चीज़ों ढेक सकता है. तो आप को नहीं बहुत सो चाहिए. मुझ को आशा है की आप की पत्र बहुत अच्छा है, और मैं आप को मिलेंगा कब आप लौटेंगे.
आप की दोस्त, गैरित 

तुमको चेन्नई जाना चाहिए

                                                                                                                                     कैरी तोवन, अन अबोर
                                                                                                                                      १७थ जून २००९
प्रिय सहेली,
   तुम्हारा पात्र पढ़कर मुझको बहुत खुशी हूँई. मुझे आशा है कि तुम्हारी दुसरे परीक्षा  भी अच्छी  होगी.

 तुम ने  कहा था तुमको    एक यात्रा पर जाना  चाहिए. यह आप का बहुत अच्छा विचार परीक्षा के  बाद का  यात्रा 
पर जाने   है. 

तुम कब जा रही हो? दिसम्बर या जनवरी में ? मैं शोची हूँ तुमको चेन्नई जाना चाहिए. चेन्नई एक बहुत सुंदर
 शहर है.

चेन्नई का दूसरा नाम कोल्लीवोद है तमिल फिल्म की इन्दुस्ट्री की  वजह से है.  और दिसम्बर में एक बहुत बड़ा भारतानादुयम त्यौहार भी है.

मुझे पता है कि तुमको भारतानादुयम बहुत पसंद है.  तुम अपने चचेरी बहन के साथ रह शकती हो.  बह चेन्नई  में रहती है. हाँ?

और  यात्रा. कॉम पर तुम्हे सस्ती टिकट मिल सकती है.  लेकिन याद रखना कि तुम जलदी बीमार हो जाती हो . तुम अपने इसलिए साथ कुछ कलोरीं की गोलियां  लेकर जाना. सामान का ध्यान रखनी. मारत में बहुत चेरियों भी होती हैं. अपने साथ ज्यादा नकदी मट लेकर नहीं  जाना. मुझे याद है पिछाली बार क्या हुआ थी.

मुझको आशा है कि तुम बहुत यात्रा अच्छी होगी.

                                 बहुत प्रेम के साथ तुम्हारी शहेली,
                                                                  मौनिका



Tuesday, 17 January 2012

स्तातुए ऑफ़ लिबर्टी

अगर मुझे कोई एक मोनुमेंट देखना को मिले थो मैं स्तातुए ऑफ़ लिबर्टी ज़रूर देखना जहुंगा. स्तातुए ऑफ़ लिबर्टी  समुन्दर के किनारे के पास है.ये मोनुमेंट एक औरत का है. वह न्यू योर्क में खड़ी है एक छोटे से ज़मीन के तुकर्ड़े पर. उस के हाथ में एक मशाल है और उस के सर पर एक ताज भी है. बहुत सरे लोग उसको देखने रोज़ आते हैं. या मोनुमेंट अमेरिका के इतिहास का बहुत जरूरी हिसा है. स्तातुए ऑफ़ लिबर्टी एक उपहार था फ्रांस से उ.स.अ. को कुछ एक सौ बीस साल पहले. इस उपहार से उ.स.अ और फ्रांस की दोस्ती बहुत मज़बूत होगी थी. फ्रांस ने इस से पहले उ.स.अ. को उनकी क्रांतिकारी जंग में मदद कि थी. इस लए ये उपहार के आने से फ्रांस को उ.स.अ. से मदद कि उमीद थी अगर कोई और जंग शुरू होती. अब ये मोनुमेंट रोज़ सुबह के नौ बजे से शाम के पांच बजे तक खुलती है. इस मोनुमेंट को देखने के लिए सब को एक बेड़ा लेनी पार्थी है. वह बेड़ा उनको पहले थो एक दो जगह ले कर जाती है और उसके बाद वह स्तातुए ऑफ़ लिबर्टी के पास जाती है. उसके पहले वह तुमे एल्लिस इस्लंद ले कर जाती है. एल्लिस इस्लंद एक रास्ता था पुराने समय में उ.स.अ. में अन्ने का. आब थो सब हवाई जहाज में आते हैं. वहां एक बहुत आचा संग्रहालय है देखने के लय. स्तातुए ऑफ़ लिबर्टी को देखने कि फ़ीस सिर्फ तेरह डॉलर है एक आदमी के लिए और मुक्त बच्चों के लिए. या प्रतिमा उ.स.अ. में हमेशा एक स्वतंत्रता का मोनुमेंट रहेगा. इस को देख कर लोग याद कर सकते हैं कि पहले कितनी गलत सोच थी दुनिया में और आज दुनिया कहाँ से कहाँ आह चुकी है. या सिर्फ उ.स.अ. का नहीं लेकिन दुनिया का एक बहुत जरूरी हिसा है.

Saturday, 14 January 2012

होमवर्क चार

मैंने ताजमहल दखा है और उस के बारे बहुत कुछ जनता हूँ. लेकिन अगर मैं एक स्मारक देख सकता हूँ तो मैं कालीज़ीयम देखना चाहता हूँ.  मैं कई और स्मारक देखना चाहता हूँ लेकिन अभी मुझे कालीज़ीयम में बहुत दिलचस्पी है.  कोलिज़ीयम रोमन इंजीनियरिंग और बनावट का एक बहुत अच्हा उदाहरण है.  यह रोम, इटली के केंद्र में बनाया गया था और रोमन साम्राज्य में सबसे बड़ा अखाड़ा था.  सम्राट वेस्पसियन ने कालीज़ीयम की संरचना वर्ष ७२ में शुरू की और उस के बेटे (सम्राट तीतुस) ने संरचना वर्ष ८० में खत्म किया.  एक महान रोमन विजय का जश्न मनाने के लिए और रोमन लोगों के लिए कालीज़ीयम बनाया गया था.  कालीज़ीयम क्रांतिकारी था क्योंकि ४५,००० या ५५,००० लोग बैठ सकते थे और उन लोगों के लिए स्नानघर थे और विक्रेते भी थे खाना या कुछ और देने के लिए. कालीज़ीयम तलवार चलानेवाले प्रतियोगिता, नकली समुद्र लड़ाईजानवर का शिकार, फांसीप्रसिद्ध लड़ाई का पुनः अधिनियमितियों, और नाटकों शास्त्रीय पौराणिक कथाओं पर आधारित के लिए इस्तेमाल किया गया था. लेकिन पांच सौ साल बाद, कालीज़ीयम मनोरंजन के लिए नहीं इस्तेमाल किया जाता था.  अगले कुछ सौ वर्षों में रोमन कैथोलिक चर्च कालीज़ीयम को इस्तेमाल करते थे या फिर आवास, किले, कार्यशालाओं, या खदान के लिए कालीज़ीयम इस्तेमाल किया जाता था. यह समय कालीज़ीयम के लिए बहुत बुरा था क्योंकि एक भूकंप से कालीज़ीयम बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हुआ. और इस समय के दौरान  कुछ लोग कालीज़ीयम से पत्थर और कांस्य चोरी कर रहे थे अपनी इमारतें बनाने के लिए.  लेकिन आज-कल,  कालीज़ीयम रोम का एक सबसे लोकप्रिय पर्यटकों के आकर्षण है.  कालीज़ीयम १९३२ साल पुराना है, लेकिन अभी भी लोगों कालीज़ीयम में मनोरंजन होते हैं.  (अगली यात्रा: गीज़ा का ग्रेट पिरामिड)

Wednesday, 7 December 2011

kab mujhe bhul huy

यह सही है की मैं बहुत भूल करता है. एक बार में मैं एक बहुत ज़रूरी पेपर दुए होता यह पेपर एक हफ्ते के बाद दुए होता. और मुझ को आपना शिद्षक मिल करना चाहिए. इस क्योंकि मेरे पेपर बहुत ख़राब था. मुझ को मालूम नहीं है की क्या मैं आपना पेपर में लिखना चाहिए. ये बहुत चीज़ों के बारे में लिख सकता है. तो मुझ को आशा था की मुझ को आपना शिद्षक मदुद करता था. तो मुझ को एक मीटिंग आपना शिद्षक के साथ जाना चाहिए था. मैं आपना शिद्षक को पुचा है की "आपकी ऑफिस कहाँ है?" और वह मुझ को कहा: "मेरी ऑफिस अंगेल हॉल में है" तो मैं सोचा था की मैं सी-टूल्स पर कमरा का संख्या के लिए ढेक सकता था. लेकिन यह दिन में सी-टूल्स कम नहीं करता था. तो मैं कमरा का संख्या मुझ को मौलुम नहीं था. इस लिए मैं सिर्फ संबव मीटिंग नहीं जाना सकता था. इस लिए मैं बहुत ख़राब पेपर लिकता था. मुझ को महसूस है की मैं एक बेवकूफ है क्यों की मैं आपना शिद्षक का कमरा का संख्या लिखा चाहिए. मैं कमरा का संख्या लिखना के बजाय मैं बहुत अलसी और सोचा था की मैं सी-टूलस पर कमरा का संख के लिए था. मुझ को ध्यान से सब करना चाहिए. अगर मैं ध्यान से सब करता है तो मैं बहुत कम भूल कर सकता है.  भी मैं बहुत अधिक लिखना चाहिए. इस क्योंकि सी-टूल्स में अक्सर समस्या होता. और सी-टूल्स कुछ समय में भी धीमा से कम करता है. 

Monday, 5 December 2011

क्या मुझसे कभी कोई भूल हुई है?

क्या मुझसे कभी कोई भूल हुई है?  हाँ, सब लोगों से भूल हुई है, और मुझ से भी|  एक दिन दो महीने पहले मैं अपनी प्रोफेसर से मिली|  हम एक हिन्दुस्तानी मानवविज्ञान की किताब के बारे में बात कर रही थीं|  उस किताब में "रेस" के बारे में लिखा गया था|  मेरी प्रोफेसर ने कहा कि अपनी क्लास में एक दिन पहले उन्होंने "रेस" के बारे में बात किये थे|  इस लिए मेरी प्रोफेसर अपनी क्लास को एक ई-मेल भेजी जिस में दो फाइलें "रेस" के बारे में थीं|  मेरी प्रोफेसर ने कहा कि वह मुझे यह ई-मेल भेजेगी|  जब मैं ने पहली फ़ाइल को देखा, तब मैं ने देखा कि इस में कुछ "रेफ्रेंसेज़" रेस के बारे में थे|  दूसरी फ़ाइल में भी कुछ रेफ्रेंसेज़ थे और उन के बाद तीन पैराग्राफ थे|  एक पाराग्राफ में लिखा गया था कि "क्यों कि मैं जेम्ज़, संतायाना, और रोय्स का छात्र/छात्रा था/था..."|  मैं ने सोचा कि अपनी प्रोफेसर ने यह पैराग्राफ लिखा|  क्या हो सकता है कि मेरी प्रोफ़ेसर ये मशहूर प्रोफेसोरों कि छात्रा थी?  मैं ने "विकीपीडिया" पर पढ़ा कि प्रोफ़ेसर संतायाना हार्वर्ड में पढ़ाता था|  मेरी प्रोफ़ेसर हार्वर्ड में लगभग १९५० पढ़ती थी|  संतायाना १९५२ मर गया तो मैं ने सोचा कि यह बात सच है|  मैं ने अपनी प्रोफ़ेसर को एक ई-मेल लिखा कि "क्यों आप ने इस से पहले मुझे इस के बारे में नहीं कहा? क्या मुझे अपनी प्रोफ़ेसर इंटरव्यू करना चाहिए?!" एक दिन बाद, मैं विकीपीडिया पर जेम्ज़ और रोय्स के बारे में पढ़ रही थी|  विल्यम जेम्ज़ १९१० में मर गया और जोजाया रोय्स १९१६ में मर गया|  वह पैराग्राफ मेरी प्रोफ़ेसर से नहीं लिखा गया, लेकिन दाबलयू-ई-बी- दुबोय्ज़ से लिखा गया| रवीन्द्रनाथ त्यागी जी कि तरह उस रात को शर्म के  मारे नींद नहीं आई|

गाय और शेर

गाय और शेर

एक दिन कुछ गे थे. वे साथ साथ पानी की तलाश कर करे थे. पहले गाय अपने बेटे गे को कहा, "हमको पानी पाना है,  पानी देखो. हमें बहुत प्यास लगी." दूर में, छोटा गाय कुछ आन्दोलन देख सकता था. उसने दुसरे गाय को कहा, "उधर देखी, एक पशु है, इसलिए यहाँ के पास पानी होगा. तब तीसरे गाय पहले बार से कहा, "सही होगा, चलो, हम उससे पूछेंगे." इस तरह सब तीनों  गाय ने पशु का पीछा किया. थकावट के मारे, उन गाय को शेर अच्छा पशु लगता था. लेकिन सावधानी से नज़र दौडकर उन्होंने देखा कि एक खतरनाक पशु था. यह बुरी बात थी क्योंकि शेर को बुख लगी..और छोटे गाय शेर को रात का खाना की तरह लगता था.
तभी शेर तीन गाय को देखकर, वह गाय की ओर चुपचाप से आने लगा. इसी वजह से तीन गाय को डर लगा.
गाय पहुंचकर शेर ने उनसे कहा, " डर की ज़रूरत नहीं है, मुझे आपकी तरह सिर्फ पानी की खोज कर रहा हूँ. मुझे केवल प्यास लगी, बुख नहीं. मैं आपके साथ पानी ढूंढूंगा. मैं आपको वैर करने नहीं चाहता हूँ."
"ठीक है," गाय सोचे.
इस तरह सब पशु पानी की खोज करने गए.
थोड़ी देर बाद, शेर छोटे गाय ने की ओर कूदकर धावा किया.
दूसरे गाय छोटे ने गाय की मदद करने की कोशिस की लेकिन शेर बहुत ज्यादा मजबूत था. इसके बाद, गाय शेर को कभी नहीं विशवास कर सकते थे.