Wednesday, 8 December 2010

Saturday, 4 December 2010

वाला

आना: चलो! हम को जल्दी जाना चाहिए!
भावना: तुम मेरा इंतजार हो ! मैं रोटी सेकने वाली हूँ।
आना: मैं नहीं सतकी हूँ क्या तुम करने वाले है। हम देर से नहीं सकती हों । कितना देर लगेगा ?
भावन : तुम दस मिनुत लगेगा.
आना: टिक है। लेकिन जल्दी है! क्या तुम रोटी वाला है? हमको प्रदर्शन जाना चाहिए। आभी!
भावना: चाय वाला वहां होगा?
आना: जी हा। मैं सोचती हूँ कि वह भी बहुत लोग और फल और फुल वाले । मैं सकती हूँ कि अच्छा हो। तुम अभी जाना चाहती हो ?
भावना: लेकिन मैं आपनी रोटी का इंतज़ार करना चाहती हूँ क्योंकि मैं सबसे आच्छी रोटी बनाती हूँ।
आना: चल चल! मैं अकेला जाऊं ?
भावना: मैं लगभग कत्म होने वाली हूँ! मेरा इंतज़ार कीजिये !
आना: नही! हम कोई समय नहीं होगी चाय वाले देखना या फुल मिलना । तब, प्रदर्शन याद करेंगी ! यह बड़ा होंगी !
भावना: अरे! सचमुच! दस मिनुत में हम चलो! उसके बाद रोटी ठड करके हम जाएँ ।
आना: हे भगवन! तुम बताना बताना लेकिन नहीं होती। में तुमको बुलाना शुरू करना रोटी वाली।
भावना: में रोटी वाली से मिलना चाहती हूँ। तब मुझे रोटी के बारे में कोई सिख चाहिए । किनते पैसे प्रदर्शन हैं?
आना: छे डोल्लर वाला टिकेट । क्यों?
भावना: क्योकि इस सवेरे में सब्जियां वाला को अपने पैसे सब दे दो । मुझे सब्सियाँ खाना रोटी के साथ पसंद है ।
आना: बाप रे बाप। तो, प्रदर्शन सात बजे को शुरू हुआ, हम बता रही हैं

Wednesday, 1 December 2010

थान्क्स्गिविंग मनाना

अमेरिका में हम लोग यह उत्सव हर साल मनाते हैं लेकिन हम लोग एक जैसे नहीं मनाते हैं। मेरी दोस्त कैलिफोर्निया से अपने परिवार के साथ एक चीनी बतख खाती है। उस का परिवार जापानी-अमेरिकेन है और वे दोनों गुरुवार और शुक्रवार मनाते हैं। बतख के बाद वे "मेल तुर्की" खाते हैं। यह "मेल तुर्की" बहुत गनते के लिए ज़मीन में दफनाती है. खाने के बाद ये पूरा परिवार क्रिस्त्मस का पेढ़ पाने के लाइफ जंगल में जाते है। दुसरे लोग "मेल तुर्की" नहीं खाते हैं। कुछ लोग तली हुई तुर्की बनाते हैं और फिर दुसरे लोग भुनी हुई तुर्की बनाते हैं। मुझ को नहीं मालुम कैसी तुर्की की स्वाद है क्योंकि मैं घोषत नहीं खाती हूँ। अगर आप शाकाहारी है जब थान्क्स्गिविंग आप के लिए अछ्चा दिन नहीं है क्योंकि कोई नहीं अपने घर पर आप से बुलाना चाहते हैं।

मेरी गलतियाँ

इमानदारी में मैं अपने जीवन में ध्यान से नहीं काम करती हूँ। वैसे मेरा जीवन बहुत अस्त-व्यस्त है। इस के बारे में मैं बहुत उदास हूँ लेकिन जो है वो है। और क्योंकि मेरा जीवन अस्त-व्यस्त है मुझ से बहुत भूलें हुई हैं। पहले, क्योंकि हमेशा बातें हो रहे हैं, मैं अक्सर चीवें भूलती हूँ। कभी-कभी यह होमवर्क है, लेकिन दूसरी बार मेरी सेल-फोन या मेरा बटुआ या मेरी चाबियां वगैरह। कभी-कभी ये सामान नहीं भूलती हूँ लेकिन घटनाएँ भूलती। उदारहण के लिए दो नवंबर को मेरा पास एक सम्मलेन अपने बेटे कि अध्यापिका के साथ थी लेकिन एक ही समय मेरी पास एक जरुरी विज्ञान कि गोष्ठी थी। दोनों बहुत महत्त्वपूर्ण थी। उस समय मैं अपना सम्मलेन अपने बेटे कि अध्यापिका के साथ भूल गई। इस के बारे में मैं बहुत ख़राब महसूस कर रही थी। अगले दिन मैंने अध्यापिका के साथ एक और सम्मलेन का इन्ताम किया लेकिन फिर भी मैंने अध्यापिका से मिलना भूली। दरासन, तीन बार मैंने अध्यापिका से मिलना भूली। हर बार मैं बहुत शरमिंदा है थी।